शनिवार, 14 जुलाई 2012

trishna -3

तृष्णा का प्याला पीकर आदमी अविचारी और पागल हो जाता है - शेख सादी l
तृष्णा संतोष की बेरिन है ,यह जहाँ पाव पसारती है संतोष को भगा देती है -सुकरात l
जिसकी तृष्णा बदी -चढ़ी है वही दरिद्र है -भर्तृहरि l 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें