बुधवार, 21 मार्च 2012

Dohe, published in Anukriti patrika, Jaipur,sampadak/dr.jayshree sharma

दोहे 
विज्ञापन के जोर से, वस्तु हुई अनमोल
आते ही व्यवहार में, खुली ढोल की पोल
गीदड़ भभकी से यहाँ, नहीं चलेगा काम
नहीं चलेगी साहिबी, आठ घडी आराम
लीडर, गीदड़ ने किया, हुआ हुआ का शोर
कुछ भी कहाँ नवीन है, वही जोड़ और तोड़
मंदिर में गाते रहे, रोज धरम के गीत
बाहर आते ही हुई, राजनीति विपरीत
मुर्ग-मुसल्लम मद भरा,छेड़-छाड़ उत्पात
ऐसी ही नववर्ष की, होती है शुरुआत
नया साल में भी लगे, वही पुरानी बात 
दिन उतना काला लगे, जितनी काली रात
ब्रिज मिला है तोहफा, भागलपुर को आज
बदला-बदला लग रहा, इसका कड़क मिजाज
                                ई० अंजनी कुमार शर्मा
जुलाई-सितम्बर,२०११ में प्रकाशित ,पेज-१५ पर

 


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